रती श्री स्वानन्द नाम की कीरति कलित ललित ललाम की जन मन मुद्रित विदित जग पावन कोटि-कोटि कलि कलुष नसावन महिमा अमित अपार धाम की ।। आरति पूजा भक्ति शक्ति नहिं मोरे सब सिध्दि मिलइ अनुग्रह तोरे मिटहि सकल कामना काम की ।। आरति
जग-मग ज्योति सकल गुन आगर गावत गुन उतरहिं भव सागर बसहि सदा उर सुरति श्याम की ।। आरति
श्री स्वानन्द आरती गावइ शुक्ल जटाशंकर सुख पावइ प्रेम प्रगति बाबाभिराम की ।। आरति